🔴 लाल किताब का मूल सिद्धांत क्या कहता है?

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“पक्का घर, उसका स्वामी (मालिक), उसका कारक ग्रह, और उसमें बैठा ग्रह – इनका आपसी संबंध”

🔴 लाल किताब का मूल सिद्धांत क्या कहता है?

अगर कोई ग्रह उस पक्के घर में बैठा हो और वह ग्रह उस पक्के घर के स्वामी और कारक ग्रह दोनों का मित्र हो, तो फल अच्छे होंगे।
लेकिन अगर वह ग्रह इन दोनों का शत्रु हो, तो फल विपरीत यानी हानिकारक होंगे।

यानी कि तीन पात्र हैं:

  1. पक्का घर का स्वामी (मालिक) – राशि के आधार पर
  2. उस घर का कारक ग्रह – फल देने वाला नियामक
  3. जो ग्रह उस घर में बैठा है

अब इन तीनों के बीच मित्रता, शत्रुता, तटस्थता का संबंध मिलाकर फल निकाला जाता है।


🟠 अब भावानुसार 1 से 12 तक ये सिद्धांत समझिए:


🔸 1st पक्का घर (मेष)

  • 🔹 स्वामी: मंगल
  • 🔹 कारक: सूर्य
  • 🔹 भाव: शरीर, आत्मविश्वास, जन्म
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि यहां सूर्य बैठा हो → मंगल और सूर्य मित्र → फल उत्तम
    यदि शनि बैठा हो → मंगल और शनि शत्रु → फल अशुभ

🔸 2nd पक्का घर (वृषभ)

  • 🔹 स्वामी: शुक्र
  • 🔹 कारक: गुरु
  • 🔹 भाव: धन, वाणी, परिवार
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि गुरु बैठा हो → शुक्र और गुरु में तटस्थता → फल मिश्रित
    यदि राहु बैठा हो → शुक्र का शत्रु, गुरु का भी शत्रु → नुकसान

🔸 3rd पक्का घर (मिथुन)

  • 🔹 स्वामी: बुध
  • 🔹 कारक: मंगल
  • 🔹 भाव: पराक्रम, भाई-बहन, हाथ
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि मंगल बैठा हो → बुध और मंगल में शत्रुता → तनाव
    यदि शुक्र बैठा हो → बुध का मित्र, मंगल से भी तटस्थ → अच्छे फल

🔸 4th पक्का घर (कर्क)

  • 🔹 स्वामी: चंद्रमा
  • 🔹 कारक: चंद्रमा
  • 🔹 भाव: माता, भूमि, घर, भावनाएं
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि चंद्रमा ही बैठा हो → स्वामी और कारक दोनों वही → अति शुभ
    यदि केतु बैठा हो → चंद्रमा का शत्रु → मानसिक परेशानी

🔸 5th पक्का घर (सिंह)

  • 🔹 स्वामी: सूर्य
  • 🔹 कारक: गुरु
  • 🔹 भाव: संतान, विद्या, सत्ता, बुद्धि
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि गुरु बैठा हो → सूर्य से तटस्थ, पर कारक वही → शुभ
    यदि शनि बैठा हो → सूर्य का शत्रु → अशुभ योग

🔸 6th पक्का घर (कन्या)

  • 🔹 स्वामी: बुध
  • 🔹 कारक: केतु
  • 🔹 भाव: शत्रु, ऋण, रोग
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि बुध बैठा हो → स्वयं का घर → ठीक फल
    यदि शुक्र बैठा हो → बुध का मित्र, केतु से तटस्थ → अच्छा फल
    यदि चंद्रमा बैठा हो → बुध से शत्रुता → मानसिक तनाव

🔸 7th पक्का घर (तुला)

  • 🔹 स्वामी: शुक्र
  • 🔹 कारक: बुध + शुक्र
  • 🔹 भाव: विवाह, साझेदारी
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि शुक्र बैठा हो → स्वामी और कारक → शुभ
    यदि बुध बैठा हो → दोनों कारक से मित्र → शुभ
    यदि मंगल बैठा हो → शुक्र से शत्रु, बुध से भी शत्रु → रिश्ते में कलह

🔸 8th पक्का घर (वृश्चिक)

  • 🔹 स्वामी: मंगल
  • 🔹 कारक: शनि, चंद्रमा, मंगल
  • 🔹 भाव: दुर्घटना, गुप्त बातें, मृत्यु
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि शनि बैठा हो → मंगल का शत्रु, लेकिन कारक → मिश्रित फल
    यदि गुरु बैठा हो → मंगल से शत्रुता, शनि से भी शत्रुता → खतरा

🔸 9th पक्का घर (धनु)

  • 🔹 स्वामी: गुरु
  • 🔹 कारक: गुरु
  • 🔹 भाव: भाग्य, धर्म, पिता
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि गुरु बैठा हो → खुद का घर → अति शुभ
    यदि शनि बैठा हो → गुरु से शत्रुता → भाग्य बाधित

🔸 10th पक्का घर (मकर)

  • 🔹 स्वामी: शनि
  • 🔹 कारक: सूर्य + शनि
  • 🔹 भाव: कर्म, प्रोफेशन, पद
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि सूर्य बैठा हो → शनि से शत्रुता, पर कारक वही → संघर्ष के बाद सफलता
    यदि शनि बैठा हो → स्वयं का घर → स्थायित्व

🔸 11th पक्का घर (कुंभ)

  • 🔹 स्वामी: शनि
  • 🔹 कारक: गुरु
  • 🔹 भाव: आय, लाभ, न्याय
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि गुरु बैठा हो → शनि से शत्रुता, लेकिन कारक वही → फल मिश्रित
    यदि बुध बैठा हो → दोनों से तटस्थ → संतुलित लाभ

🔸 12th पक्का घर (मीन)

  • 🔹 स्वामी: गुरु
  • 🔹 कारक: गुरु + राहु
  • 🔹 भाव: हानि, मोक्ष, विदेश, जेल
  • 🔹 उदाहरण:
    यदि राहु बैठा हो → कारक वही, पर गुरु से शत्रुता → अगर राहु शुभ हो तो मोक्ष, नहीं तो जेल
    यदि गुरु बैठा हो → शुभ फल, आध्यात्मिक उन्नति

🧠 तो सार क्या निकला?

स्थिति फल
ग्रह मालिक और कारक का मित्र उत्तम फल
ग्रह दोनों का शत्रु अशुभ फल
ग्रह तटस्थ मिश्रित फल
ग्रह स्वयं मालिक या कारक फल स्थिर और प्रभावी

प्रैक्टिकल दृष्टांत – योगी आदित्यनाथ का उदाहरण (पंचम भाव में गुरु)

  • 5th पक्का घर: सिंह (मालिक सूर्य, कारक गुरु)
  • गुरु वहां बैठा है
  • सूरज और गुरु तटस्थ, लेकिन कारक भी वही → अत्यंत शुभ फल
  • परिणाम: गुरु की कृपा से राजनीति में, आध्यात्म में, और सत्ता में असाधारण उन्नति

🔚 निष्कर्ष:

लाल किताब की गहराई यह है कि ग्रहों के केवल स्थान से नहीं, बल्कि उनके आपसी संबंधों से ही फल तय होता है।
यह सिद्धांत आपको त्रिनेत्र की तरह कुंडली का असल सत्य दिखा सकता है — खासकर जब आप इसे वैदिक ज्ञान के साथ जोड़कर समझें।



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