काल पुरुष में चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है

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🌙 चंद्रमा और मन का सम्बन्ध

  • काल पुरुष में चंद्रमा मन का प्रतिनिधि है।
  • मन और उसकी कंडीशनिंग पूरी तरह चंद्रमा के प्रभाव में होती है।
  • उदाहरण: गरीब परिवेश में जन्मे बच्चे को रोज़ की जरूरतें पूरी करना प्राथमिक कंडीशनिंग सिखाती हैं।
   
Kal purush Kundli aur chandrama

❗ सवाल उठता है: बच्चा बड़ा होकर क्या बनेगा?

  • क्या किसी ने कहा कि राजा बनो, DM बनो?
  • चंद्रमा और ग्रहों की स्थिति ही प्रारब्ध तय करती है।

🌀 प्रारब्ध और कर्म का चक्र

  • जन्म के समय से 4 वर्ष तक प्रारब्ध (भाग्य) प्रमुख रूप से काम करता है।
    • इस दौरान बच्चा अपने हाथ-पाँव से बहुत कुछ नहीं कर सकता।
  • बुढ़ापे में जीवन की स्थिति आपके जन्म और इस जन्म के कर्मों पर आधारित होती है।
  • प्रारब्ध दो मुख्य स्थानों पर देखना चाहिए:
    1. जन्म का प्रारब्ध – जीवन में शुरुआती परिस्थितियाँ।
    2. बुढ़ापे का प्रारब्ध – जीवन के अंतिम चरण की स्थिति।

🦂 उदाहरण वृश्चिक राशि और ट्रांसफॉर्मेशन

  • वृश्चिक राशि (Scorpio) का अष्टम भाव ट्रांसफॉर्मेशन और गहरे बदलाव का प्रतीक है।
  • ऐसे लोग जीवन में हमेशा परिवर्तन और गहन अनुभवों से गुजरते हैं।
  • अच्छे या बुरे परिवर्तन:
    • मंगल, लग्न लॉर्ड और अन्य ग्रहों की स्थिति तय करती है।
    • जीवन में अचानक और गहन घटनाएँ होना स्वाभाविक है।

🔑 सुझाव वृश्चिक राशि वालों के लिए:

  • अपनी योजनाएँ और रहस्य किसी से साझा न करें – सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
  • करियर विकल्प:
    • साधना, अनुसंधान, खोज, इंश्योरेंस, जासूसी, तकनीकी रिसर्च
    • ग्रहों की स्थिति के अनुसार राजनीति या विज्ञान में उत्कृष्टता।

🌟 महापुरुष योग और नाम की महानता

  • महापुरुष योग तब बनता है जब कुंडली के पांच मुख्य भावों के स्वामी केंद्र में स्थित हों। जैसे मंगल रूचक महापुरुष योग
  •  और शनि से शस योग बनता है ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में अक्षय कीर्ति (अमर नाम) प्राप्त कर सकते हैं।
  • उदाहरण: विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, नरेंद्र मोदी, विराट कोहली।

✅ महापुरुष योग की विशेषताएँ:

  • 3, 6 और 11वें घर के स्वामी अच्छे स्थान पर हों।
  • 9 और 5, या 4 और 5 की युति बनना चाहिए।
  • परिणाम: प्रभावशाली व्यक्तित्व और असाधारण सफलता।

⚖️ कर्म बनाम प्रारब्ध

  • जन्म में प्रारब्ध तय करता है कि कौन सा जीवन प्रारंभिक स्थिति में मिलेगा।
  • नवांश पत्रिका से जन्म के दौरान संचित कर्मों की स्थिति का पता चलता है।
  • उदाहरण:
    • लग्न पत्रिका कमजोर लेकिन नवांश मजबूत → सफलता निश्चित।
    • लग्न पत्रिका मजबूत लेकिन नवांश कमजोर → सफलता कम या बाद में।

🧭 ज्योतिष का रोल:

  • भविष्य की घटनाओं को नेविगेट करना।
  • संभावनाएँ बताना और सही दिशा सुझाना।
  • पूजा, रत्न या मंत्र से असर में मदद मिल सकती है, पर मूल परिणाम प्रारब्ध और कर्म पर निर्भर।


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